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मध्य प्रदेश के जनपद छतरपुर में बक्सवाहा के जंगल ना काटे जाने की राजेश सिंह यादव ने की अपील।

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धीरे-धीरे रेगिस्तान में बदलते बुंदेलखंड के छतरपुर जिले का बक्स्वाहा क्षेत्र का हरा-भरा जंगल इस इलाके की पहचान है। मगर अब इसी जंगल पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं, वास्तव में यह सिर्फ जंगल ही नहीं है बल्कि यहां जीवन का बसेरा है। बुंदेलखंड के इस जंगल में हीरे का भंडार है और जमीन के भीतर दबे हीरे की चाहत में जमीन के ऊपर नजर आने वाले हीरा रूपी जंगल को नष्ट करने की कवायद चल पड़ी है।  इसका विरोध भी चौतरफा शुरु हो चुका है, कोरोना काल में गहरे संकट ने यह बता दिया है कि तिजोरिओं में बंद सोना, चांदी, हीरा को बेचकर लोगों ने प्राणवायु ऑक्सीजन पाई है तब जाकर जीवन बच पाया है और इस ऑक्सीजन का वास्तविक उत्पादन केंद्र जंगल ही है। अब हीरा पाने की चाहत में इस ऑक्सीजन के पावर हाउस को खत्म करने की मुहिम चल पड़ी है यहां पचास तरह के पेड़ हैं, तो कई तरह के वन्य प्राणी व पक्षी का ठिकाना है। स्वतंत्र पत्रकार राजेश सिंह यादव बताते हैं कि बक्सवाहा के जंगल सिर्फ पेड़ों का एक स्थल नहीं है, बल्कि यहां जिंदगी और संस्कृति दोनों का बसेरा है। वास्तव में इस जंगल में सिर्फ पेड़ नहीं है बल्कि यहां जिंदगी बसती...