केंद्र और राज्य सरकारें खासकर पेट्रोल-डीजल पर अपने कर-उपकर घटाकर लोगों को महंगाई से राहत दें - राजेश सिंह यादव।
"बहुत हुई महंगाई की मार" का नारा देकर सत्ता में आई मोदी सरकार महंगाई पर कोई लगाम क्यों नहीं लगा पा रही?
यह प्रश्न देश की जनता भाजपा सरकार से सीधा कर रही है।
महंगाई देश की अर्थव्यवस्था का एक अहम सूचक है। नियंत्रित होने पर यह इकॉनमी के लिए अच्छा होता है, लेकिन जब नियंत्रण से बाहर होता है तो अर्थव्यवस्था खतरे में पड़ जाती है।
भारत में महंगाई दर चार फीसदी से नीचे है।
देश में कोरोना की दूसरी लहर का असर अब कमजोर हो गया है। लेकिन लोगों को महंगाई की मार का सामना करना पड़ रहा है। पेट्रोल और डीजल की कीमतों में हर दिन हो रही बढ़ोतरी के बीच अब रोजमर्रा की चीजों के दाम में भी काफी उछाल देखने को मिल रहा है।
हाल के दिनों साबुन, तेल, वाशिंग पाउडर, शैम्पू की कीमतों में काफी इजाफा देखने को मिला है। मीडिया खबरों के अनुसार इन चीजों के दामों में 42 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी दर्ज की गयी है। चायपत्ती, बेबी फूड, कैचप,जैम, नूडल्स के दामों में भी इजाफा देखने को मिल रहा है। गुरुवार को रसोई गैस की कीमतों में भी बढ़ोतरी दर्ज की गयी, वहीं अमूल दूध की कीमतों में भी बढ़ोतरी हुई है।
गुजरात सहकारी दूध विपणन संघ (जीसीएमएमएफ) ने बुधवार को कहा था कि अमूल दूध की कीमतों में एक जुलाई से सभी ब्रांडों के लिए दो रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी की जाएगी। अमूल ब्रांड नाम के तहत दूध और डेयरी उत्पादों का विपणन करने वाले जीसीएमएमएफ के प्रबंध निदेशक आर एस सोढ़ी ने कहा कि लगभग एक साल और सात महीने के बाद कीमतों में बढ़ोतरी की जा रही है, जो उत्पादन लागत में वृद्धि के कारण जरूरी हो गई थी।
ईंधन की बढ़ती कीमतों से परिवहन लागत ऊंची होने के चलते दिल्ली के थोक और खुदरा बाजारों में फल-सब्जी की कीमतों में इस सप्ताह और वृद्धि हुई। व्यापारियों ने बुधवार को यह भी कहा कि हालांकि, फल-सब्जी की कीमतें इस समय ज्यादा ऊंची नहीं हैं। लेकिन उन्होंने कहा कि यदि डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी जारी रही तो आने वाले हफ्तों में ये खाद्य वस्तुएं महंगी हो सकती हैं।
देश में पेट्रोल-डीजल की महंगाई का बुरा असर केवल आम आदमी पर नहीं, बल्कि समूची अर्थव्यवस्था पर पड़ रहा है।
स्वतंत्र पत्रकार राजेश सिंह यादव बताते हैं कि हमारी अर्थव्यवस्था पहले ही कोविड-19 संकट के तगड़े झटके झेल चुकी है। “वक्त की मांग है कि केंद्र और राज्य सरकारें खासकर पेट्रोल-डीजल पर अपने कर-उपकर घटाकर लोगों को महंगाई से राहत दें।
अंततः केंद्र और राज्य सरकार मिलकर ही महंगाई कम कर सकते हैं।
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