भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष चौधरी नरेश टिकैत ने घोषणा कर दी कि सूबे में आगामी विधानसभा चुनाव में भाकियू भी अपने प्रत्याशी उतारेगी।
केंद्रीय कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर चल रहा किसानों का आंदोलन खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। स्वतंत्र पत्रकार राजेश सिंह यादव लिखते हैं कि पिछले एक साल से दिल्ली में यूपी और हरियाणा बॉर्डर पर किसान अपनी मांगों को लेकर डटे हुए है। इस बीच, हरियाणा के गृह मंत्री अनिल विज ने एक बार फिर किसान आंदोलन पर निशाना साधा है।
विज ने कहा- वर्ष 2012 में राजनीतिक आकांक्षाओं के लिए कई लोग अन्ना हजारे के नेतृत्व वाले आंदोलन में शामिल हुए, उन्होंने इसे हासिल किया और केजरीवाल बन गए। कृषि कानूनों का विरोध कर रहे कई नेता केजरीवाल बनना चाहते हैं। उनके राजनीतिक मकसद हैं और गुरनाम सिंह चढूनी उनमें से एक हैं।
हरियाणा के मंत्री ने कहा कि वे सिर्फ लोगों को भड़काना चाहते हैं, समाधान नहीं लाना चाहते। वे इस मुद्दे पर केंद्र सरकार से बात नहीं करना चाहते, उनका राजनीतिक मकसद केजरीवाल बनना है। उनमें अंदरूनी कलह है, इसलिए चढूनी को संयुक्त किसान मोर्चा से 7 दिनों के लिए संस्पेंड कर दिया गया है।
विज ने चढूनी की ओर से संयुक्त किसान मोर्चे का बहिष्कार करने के फैसले को नौटंकी करार दिया। उन्होंने कहा कि चढूनी ने संयुक्त किसान मोर्चे का बहिष्कार तब किया है, जब उन्हें मोर्चा ने पहले ही सस्पेंड कर दिया। अब इस ड्रामेबाजी का कोई फायदा नहीं है। वैसे भी चढूनी के साथ कोई आदमी नहीं है। संयुक्त किसान मोर्चा पूरी तरह से टूट और बिखर चुका है। अब सिर्फ वही लोग यहां बैठे हैं, जो बीजेपी विरोधी राजनीतिक दलों के समर्थक हैं।
तमाम अटकलों को विराम देते हुए शनिवार देर शाम भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष चौधरी नरेश टिकैत ने घोषणा कर दी कि सूबे में आगामी विधानसभा चुनाव में भाकियू भी अपने प्रत्याशी उतारेगी। चौधरी नरेश टिकैत ने यह स्पष्ट कर दिया कि भाकियू केवल किसानों को ही प्रत्याशी बनाएगी। उन्होंने एलान किया कि हम ऐसे जनप्रतिनिधि बनाएंगे, जिनसे गलती होने पर भरी पंचायत में इस्तीफा लिया जाएगा। भाकियू के प्रभाव वाली सीटों पर ही पार्टी अपने प्रत्याशी खड़ा करेगी अथवा पूरे सूबे में, अकेले चुनाव लड़ेगी अथवा किसी दल के साथ गठबंधन कर, आदि विषयों पर निर्णय पांच सितंबर को संयुक्त किसान मोर्चा की महापंचायत में लिया जाएगा।
अंततः देखना यह है कि किसान महापंचायत का फैसला क्या आता है।
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