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न्याय और समता के प्रेरक थे छोटे लोहिया पं. जनेश्वर मिश्र - राजेश सिंह यादव

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समाजवादी पुरोधा और न्याय एवं समता के प्रेरक छोटे लोहिया पंडित जनेश्वर मिश्र जी की जयंती के अवसर पर उनके जीवन पर और उनके सामाजिक राजनैतिक योगदान के बारे में विस्तृत रूप से स्वतंत्र पत्रकार राजेश सिंह यादव लिखते हैं कि जनेश्वर मिश्र का जन्म 5 अगस्त 1933 को जनपद बलिया के शुभनथहीं गांव में हुआ था। उनके पिता रंजीत मिश्र साधारण किसान थे। बलिया में अपनी प्राथमिक शिक्षा पूरी करने के बाद 1953 में इलाहाबाद वर्तमान (प्रयागराज) पहुंचे जो उनका कार्यक्षेत्र रहा। पंडित जनेश्वर जी को आजाद भारत के विकास की राह समाजवादी सपनों के साथ आगे बढ़ने में दिखी और समाजवादी आंदोलन में इतना पगे कि उन्हें लोग "छोटे लोहिया" के तौर पर ही जानने लगे। उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय में स्नातक कला वर्ग में प्रवेश लेकर हिन्दू हास्टल में रहकर पढ़ाई शुरू की और जल्दी ही छात्र राजनीति से जुड़े। छात्रों के मुद्दे पर उन्होंने कई आंदोलन छेड़े जिसमें छात्रों ने उनका बढ-चढ़ कर साथ दिया। 1967 में उनका राजनैतिक सफर शुरू हुआ। वह जेल में थे तभी लोकसभा का चुनाव आ गया। छुन्नन गुरू व सालिगराम जायसवाल ने उन्हें...

केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर संसद में बोले-आंदोलन के दौरान किसानों की मौत का रिकार्ड नहीं।

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केंद्र सरकार के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ वर्ष 2020 से दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलन के दौरान मृत किसानों का सरकार के पास कोई रिकार्ड नहीं है, कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने शुक्रवार को संसद को यह जानकारी दी। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार ने तीन कृषि कानूनों के बारे में किसानों के मन में आशंकाओं का पता लगाने के लिए कोई अध्ययन नहीं कराया है। तीन कानूनों के विरोध में मुख्य रूप से पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के हजारों किसान आठ महीने से दिल्ली की सीमाओं पर डेरा डाले हुए हैं। इनमें से किसानों का एक समूह अब विशेष अनुमति मिलने के बाद मध्य दिल्ली में जंतर मंतर पर धरना दे रहा है। यह पूछे जाने पर कि क्या सरकार को वर्ष 2020 के बाद से कृषि कानून के विरोध के दौरान शहीद हुए किसानों की कुल संख्या के बारे में पता है, तोमर ने कहा, ‘भारत सरकार के पास ऐसा कोई रिकार्ड नहीं है।’ राज्यसभा में अपने लिखित उत्तर के दौरान उन्होंने कहा कि हालांकि, केंद्र सरकार ने किसान संघों के साथ चर्चा के दौरान उनसे अपील की थी कि उस समय की ठंड और कोविड-19 की स्थिति को देखते हुए बच्चों और बुजुर्गों, विशेष...

केंद्र और राज्य सरकारें खासकर पेट्रोल-डीजल पर अपने कर-उपकर घटाकर लोगों को महंगाई से राहत दें - राजेश सिंह यादव।

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मिडिल क्लास पर बेरोजगारी और महंगाई की दोहरी मार! "बहुत हुई महंगाई की मार" का नारा देकर सत्ता में आई मोदी सरकार महंगाई पर कोई लगाम क्यों नहीं लगा पा रही? यह प्रश्न देश की जनता भाजपा सरकार से सीधा कर रही है। महंगाई देश की अर्थव्यवस्था का एक अहम सूचक है। नियंत्रित होने पर यह इकॉनमी के लिए अच्छा होता है, लेकिन जब नियंत्रण से बाहर होता है तो अर्थव्यवस्था खतरे में पड़ जाती है। भारत में महंगाई दर चार फीसदी से नीचे है। देश में कोरोना की दूसरी लहर का असर अब कमजोर हो गया है। लेकिन लोगों को महंगाई की मार का सामना करना पड़ रहा है। पेट्रोल और डीजल की कीमतों में हर दिन हो रही बढ़ोतरी के बीच अब रोजमर्रा की चीजों के दाम में भी काफी उछाल देखने को मिल रहा है। हाल के दिनों साबुन, तेल, वाशिंग पाउडर, शैम्पू की कीमतों में काफी इजाफा देखने को मिला है। मीडिया खबरों के अनुसार इन चीजों के दामों में 42 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी दर्ज की गयी है। चायपत्ती, बेबी फूड, कैचप,जैम, नूडल्स के दामों में भी इजाफा देखने को मिल रहा है। गुरुवार को रसोई गैस की कीमतों में भी बढ़ोतरी दर्ज की गयी, वहीं अमूल दूध क...

भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष चौधरी नरेश टिकैत ने घोषणा कर दी कि सूबे में आगामी विधानसभा चुनाव में भाकियू भी अपने प्रत्याशी उतारेगी।

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केंद्रीय कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर चल रहा किसानों का आंदोलन खत्‍म होने का नाम नहीं ले रहा है। स्वतंत्र पत्रकार राजेश सिंह यादव लिखते हैं कि पिछले एक साल से दिल्‍ली में यूपी और हरियाणा बॉर्डर पर किसान अपनी मांगों को लेकर डटे हुए है। इस बीच, हरियाणा के गृह मंत्री अनिल विज ने एक बार फिर किसान आंदोलन पर निशाना साधा है। विज ने कहा- वर्ष 2012 में राजनीतिक आकांक्षाओं के लिए कई लोग अन्ना हजारे के नेतृत्व वाले आंदोलन में शामिल हुए, उन्होंने इसे हासिल किया और केजरीवाल बन गए। कृषि कानूनों का विरोध कर रहे कई नेता केजरीवाल बनना चाहते हैं। उनके राजनीतिक मकसद हैं और गुरनाम सिंह चढूनी उनमें से एक हैं। हरियाणा के मंत्री ने कहा कि वे सिर्फ लोगों को भड़काना चाहते हैं, समाधान नहीं लाना चाहते। वे इस मुद्दे पर केंद्र सरकार से बात नहीं करना चाहते, उनका राजनीतिक मकसद केजरीवाल बनना है। उनमें अंदरूनी कलह है, इसलिए चढूनी को संयुक्‍त किसान मोर्चा से 7 दिनों के लिए संस्‍पेंड कर दिया गया है। विज ने चढूनी की ओर से संयुक्त किसान मोर्चे का बहिष्कार करने के फैसले को नौटंकी करार दिया। उन्होंन...

पुलित्जर अवार्ड विजेता जांबाज पत्रकार दानिश सिद्दीकी हमेशा हमारे दिलों में जिंदा रहेंगे - राजेश सिंह यादव।

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भारतीय फोटो पत्रकार दानिश सिद्दीकी अंतिम सांस तक तस्वीरों के जरिए दुनिया को अफगानिस्तान के हालातों से रूबरू कराते रहे। अब दानिश सिद्दीकी हमारे बीच नहीं हैं, मगर उनके काम हमारे बीच हमेशा जिंदा रहेंगे। उनकी तस्वीरें बोलती थीं, यही वजह है कि दानिश सिद्दीकी को उनके बेहतरीन काम के लिए पत्रकारिता का प्रतिष्ठित पुलित्जर अवॉर्ड भी मिला था। दानिश सिद्दीकी ने रोहिंग्या शरणार्थियों की समस्या को अपनी तस्वीरों से दिखाया था। दानिश सिद्दीकी अपनी तस्वीरों के जरिए आम आदमी की भावनाओं को सामने लाते थे। दिल्ली दंगा हो या कोरोना से हाहाकार, रोहिंग्या शरणार्थियों की बात हो या फिर अफगानिस्तान में जंग के हालात...हर जगह के हालात को दानिश ने अपनी तस्वीरों के सामने देश और दुनिया को दिखाया था। एक  ट्वीट कर दानिश  ने बताया था कि जिस गाड़ी में वे सवार थे, उसे कैसे निशाना बनाया गया।  उन्होंने लिखा था कि सुरक्षित बच जाने पर वे खुद को भाग्यशाली महसूस कर रहे थे। उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा था- जिस बख्तरबंद गाड़ी मैं अन्य विशेष बलों के साथ यात्रा कर रहा था, उसे भी कम से क...

मध्य प्रदेश के जनपद छतरपुर में बक्सवाहा के जंगल ना काटे जाने की राजेश सिंह यादव ने की अपील।

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धीरे-धीरे रेगिस्तान में बदलते बुंदेलखंड के छतरपुर जिले का बक्स्वाहा क्षेत्र का हरा-भरा जंगल इस इलाके की पहचान है। मगर अब इसी जंगल पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं, वास्तव में यह सिर्फ जंगल ही नहीं है बल्कि यहां जीवन का बसेरा है। बुंदेलखंड के इस जंगल में हीरे का भंडार है और जमीन के भीतर दबे हीरे की चाहत में जमीन के ऊपर नजर आने वाले हीरा रूपी जंगल को नष्ट करने की कवायद चल पड़ी है।  इसका विरोध भी चौतरफा शुरु हो चुका है, कोरोना काल में गहरे संकट ने यह बता दिया है कि तिजोरिओं में बंद सोना, चांदी, हीरा को बेचकर लोगों ने प्राणवायु ऑक्सीजन पाई है तब जाकर जीवन बच पाया है और इस ऑक्सीजन का वास्तविक उत्पादन केंद्र जंगल ही है। अब हीरा पाने की चाहत में इस ऑक्सीजन के पावर हाउस को खत्म करने की मुहिम चल पड़ी है यहां पचास तरह के पेड़ हैं, तो कई तरह के वन्य प्राणी व पक्षी का ठिकाना है। स्वतंत्र पत्रकार राजेश सिंह यादव बताते हैं कि बक्सवाहा के जंगल सिर्फ पेड़ों का एक स्थल नहीं है, बल्कि यहां जिंदगी और संस्कृति दोनों का बसेरा है। वास्तव में इस जंगल में सिर्फ पेड़ नहीं है बल्कि यहां जिंदगी बसती...